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कैसे T. N. Seshan ने भारतीय लोकतंत्र को नया जीवन दिया? – एक क्रांतिकारी यात्रा

शेषन के 5 सबसे बड़े चुनावी सुधार
शेषन के 5 सबसे बड़े चुनावी सुधार

भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में निष्पक्ष चुनाव कराना किसी चुनौती से कम नहीं था। राजनीति में बाहुबल, धनबल, और भ्रष्टाचार ने चुनावी प्रक्रिया को दूषित कर दिया था। लेकिन 1990 के दशक में एक ऐसा व्यक्ति सामने आया, जिसने न केवल चुनावों की तस्वीर बदल दी, बल्कि पूरी राजनीति को हिला कर रख दिया। यह व्यक्ति थे त्रिनेत्रि नारायण अय्यर शेषन (T. N. Seshan), जो भारतीय चुनाव प्रणाली में सुधार के सबसे बड़े नायक बने।

T. N. Seshan: कौन थे और क्यों उनकी कहानी खास है?

T. N. Seshan 1990-1996 तक भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner – CEC) रहे। उनका प्रशासनिक करियर बहुत शानदार था, लेकिन जब वे चुनाव आयोग के प्रमुख बने, तो उन्होंने लोकतंत्र को एक नई दिशा दी।

उनके कार्यकाल से पहले, चुनावों में कई अनियमितताएँ थीं:
✅ राजनीतिक पार्टियाँ चुनाव आचार संहिता का पालन नहीं करती थीं।
✅ धनबल और बाहुबल का खुलकर प्रयोग होता था।
✅ फर्जी वोटिंग और बूथ कैप्चरिंग आम बात थी।
✅ सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल किया जाता था।

लेकिन शेषन ने इन सब बुराइयों के खिलाफ अकेले लड़ाई लड़ी और चुनाव प्रक्रिया को इतना मजबूत बना दिया कि आज भी उन्हें चुनाव सुधारों का सबसे बड़ा योद्धा माना जाता है।


शेषन के 5 सबसे बड़े चुनावी सुधार, जिन्होंने लोकतंत्र को मजबूत किया

🔥 1. चुनाव आचार संहिता को लागू करना (Model Code of Conduct)

पहले चुनाव आयोग के नियम सिर्फ कागजों पर होते थे, लेकिन शेषन ने इन्हें “कठोर कानून” में बदल दिया। अब कोई भी नेता या पार्टी चुनाव के दौरान नियमों का उल्लंघन नहीं कर सकती थी।

👉 क्या बदलाव हुआ?
🔹 नेताओं के भाषणों पर नियंत्रण रखा गया।
🔹 धार्मिक और जातिगत उकसावे वाले भाषणों पर रोक लगी।
🔹 सरकारी योजनाओं की घोषणा चुनावी फायदे के लिए करना बंद हुआ।


🔥 2. काले धन और बाहुबल पर रोक

चुनावों में पहले करोड़ों रुपये काले धन के रूप में बहाए जाते थे। शेषन ने पहली बार व्यय सीमा (Spending Limit) को सख्ती से लागू किया और चुनावी खर्च का ऑडिट शुरू करवाया।

👉 क्या बदलाव हुआ?
🔹 चुनाव में काले धन के दुरुपयोग पर लगाम लगी।
🔹 नेताओं को अपने खर्च का हिसाब देना अनिवार्य हुआ।
🔹 चुनाव जीतने के लिए मनी पावर और मसल पावर का गलत इस्तेमाल कम हुआ।


🔥 3. मतदाता पहचान पत्र (Voter ID Card) को अनिवार्य करना

पहले बिना किसी ठोस पहचान के लोग वोट डाल देते थे, जिससे बोगस वोटिंग होती थी। शेषन ने पहली बार यह नियम लागू किया कि हर मतदाता के पास वोटर आईडी कार्ड होना चाहिए।

👉 क्या बदलाव हुआ?
🔹 फर्जी वोटिंग खत्म हुई।
🔹 बूथ कैप्चरिंग पर काफी हद तक रोक लगी।
🔹 निष्पक्ष चुनाव कराना आसान हुआ।


🔥 4. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की गारंटी

सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग चुनावों में अक्सर होता था। पुलिस, प्रशासन और सरकारी संस्थाएँ राजनीतिक दलों के पक्ष में काम करती थीं।

T. N. Seshan ने चुनाव आयोग को पूर्ण स्वतंत्रता दिलाई और आदेश दिया कि सरकारी अधिकारी चुनाव के दौरान किसी भी राजनीतिक दबाव में न आएँ।

👉 क्या बदलाव हुआ?
🔹 सरकारी अफसरों को निष्पक्ष रूप से काम करने की आज़ादी मिली।
🔹 चुनाव आयोग ने अपना रुतबा स्थापित किया।
🔹 सरकार चुनाव में हस्तक्षेप नहीं कर पाई।


🔥 5. चुनाव में कदाचार और धांधली के खिलाफ सख्त कदम

पहले बूथ कैप्चरिंग, मतदाता डराना-धमकाना, और फर्जी वोटिंग जैसी घटनाएँ आम थीं। T. N. Seshan ने इनमें संलिप्त नेताओं और अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई की।

👉 क्या बदलाव हुआ?
🔹 चुनावों में हिंसा कम हुई।
🔹 चुनावी प्रक्रिया में जनता का भरोसा बढ़ा।
🔹 निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव की परंपरा शुरू हुई।


क्या शेषन के फैसले राजनीति के लिए खतरा बन गए थे?

T. N. Seshan ने नेताओं को कभी भी स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दिया। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि “चुनाव आयोग, नेताओं से ऊपर है।”

👉 उन्होंने कई बड़े नेताओं के प्रचार अभियानों पर रोक लगाई।
👉 कई बार उनकी वजह से सरकारें असहज महसूस करने लगीं।
👉 वे चुनाव सुधारों के चलते जनता के हीरो बन गए।

उनका एक मशहूर बयान था –
“I eat politicians for breakfast.” (मैं नेताओं को नाश्ते में खा जाता हूँ)।

उनकी इसी सख्त छवि के कारण जनता ने उन्हें पसंद किया और “शेषन बना देशन” का नारा गूंज उठा।


क्या आज भारत को एक और T. N. Seshan की जरूरत है?

आज भारत में चुनाव प्रणाली डिजिटल हो रही है, लेकिन कई चुनौतियाँ अभी भी बाकी हैं:
फेक न्यूज़ और सोशल मीडिया प्रचार का गलत इस्तेमाल।
✅ बड़े-बड़े बिज़नेस हाउस का राजनीतिक दलों को फंडिंग।
✅ चुनावों में जाति और धर्म आधारित राजनीति।

अगर आज भारत को फिर से एक निष्पक्ष और निर्भीक चुनाव आयुक्त मिले, तो चुनावी प्रक्रिया और भी मजबूत हो सकती है।


T. N. Seshan का योगदान – एक अमर विरासत

उन्होंने चुनाव प्रणाली को पारदर्शी बनाया।
भारतीय लोकतंत्र को नई दिशा दी।
जनता में निष्पक्ष चुनावों के प्रति भरोसा जगाया।

T. N. Seshan ने अपने साहस, ईमानदारी और सख्ती से लोकतंत्र को बचाने का जो काम किया, वह हमेशा याद किया जाएगा।

👉 क्या आपको लगता है कि भारत को फिर से T. N. Seshan जैसा नेता चाहिए? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं! 😊

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