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बजट कैसे बनता है? – आम आदमी की भाषा में समझें

बजट कैसे बनता है
बजट कैसे बनता है

सोचिए कि आप एक परिवार के मुखिया (सरकार) हैं और आपको अपने घर (देश) का खर्च चलाना है। आपके पास हर महीने एक तय आमदनी (सरकारी राजस्व) आती है, और आपको खर्च (विकास कार्य, सरकारी योजनाएँ, वेतन, रक्षा बजट आदि) भी करना होता है।

अब अगर आप अपने घर का बजट सही से नहीं बनाएँगे, तो हो सकता है कि महीने के आखिरी में पैसे खत्म हो जाएँ या ज़रूरत से ज्यादा कर्ज लेना पड़े। यही काम सरकार भी करती है, लेकिन बड़े पैमाने पर।


बजट बनाने की प्रक्रिया (आसान भाषा में)

1. जानकारी जुटाना (पैसे कहाँ से आएंगे, कहाँ खर्च होंगे?)

जिस तरह घर में माँ-पापा यह तय करते हैं कि आने वाले महीने में कौन-कौन से खर्च जरूरी हैं (बच्चों की स्कूल फीस, राशन, बिजली बिल, त्योहारों का खर्च आदि), उसी तरह सरकार भी सभी मंत्रालयों और विभागों से पूछती है कि उन्हें अगले साल कितना पैसा चाहिए।

👉 उदाहरण:

  • शिक्षा मंत्रालय कहता है, “हमें स्कूल और कॉलेज सुधारने के लिए 50,000 करोड़ चाहिए।”
  • स्वास्थ्य मंत्रालय कहता है, “हमें अस्पताल और दवाइयों के लिए 40,000 करोड़ चाहिए।”
  • रक्षा मंत्रालय कहता है, “हमें सेना की ताकत बढ़ाने के लिए 5 लाख करोड़ चाहिए।”

अब सरकार यह देखती है कि कितनी कमाई होगी और कितना खर्च करना है


2. सरकार की कमाई (आमदनी के स्रोत)

जिस तरह घर में वेतन (salary), किराया, और छोटे-मोटे कामों से पैसे आते हैं, उसी तरह सरकार भी टैक्स (कर) और अन्य स्रोतों से कमाई करती है।

सरकार की कमाई मुख्यतः तीन तरीकों से होती है:

  1. टैक्स (Taxes) – जैसे इनकम टैक्स, जीएसटी, कस्टम ड्यूटी आदि।
  2. सरकारी कंपनियों की कमाई – जैसे रेलवे, बीमा कंपनियों से आने वाला पैसा।
  3. उधार (Loan & Bonds) – जब सरकार को ज्यादा पैसे की जरूरत होती है, तो वह कर्ज भी लेती है।

👉 उदाहरण:

  • अगर सरकार को अगले साल 20 लाख करोड़ रुपए मिलने वाले हैं, लेकिन खर्च 22 लाख करोड़ का है, तो सरकार को 2 लाख करोड़ उधार लेना पड़ेगा।

3. बजट का मसौदा तैयार करना (Drafting the Budget)

अब सरकार तय करती है कि किस क्षेत्र में कितना पैसा देना है और कहाँ कटौती करनी है। जैसे घर में माता-पिता यह तय करते हैं कि इस बार नई कार खरीदें या बच्चों की पढ़ाई पर ज्यादा खर्च करें।

👉 उदाहरण:

  • इस साल सरकार ने सड़कों और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 2 लाख करोड़ रखे हैं।
  • लेकिन खर्च ज्यादा न हो, इसलिए कुछ सरकारी योजनाओं का बजट घटा दिया जाता है।

4. बजट पेश करना (Budget Presentation)

1 फरवरी को वित्त मंत्री (Finance Minister) संसद में खड़े होकर बजट भाषण देते हैं। यह ऐसा ही है जैसे घर का मुखिया पूरे परिवार को बताए कि इस साल कहाँ कितना खर्च होगा।

👉 उदाहरण:

  • वित्त मंत्री कहते हैं, “इस साल हम गरीबों के लिए सस्ते घर देने पर ज़्यादा ध्यान देंगे।”
  • “हम किसानों की मदद के लिए 1 लाख करोड़ का फंड दे रहे हैं।”
  • “इस साल टैक्स स्लैब में बदलाव होगा, जिससे मध्यम वर्ग को फायदा होगा।”

5. बजट पर चर्चा और मंजूरी (Approval Process)

जिस तरह घर में कोई नया खर्च जोड़ने या हटाने पर परिवार के सभी सदस्य चर्चा करते हैं, वैसे ही संसद में सांसद बजट पर बहस करते हैं।

👉 उदाहरण:

  • विपक्ष कह सकता है, “आपने शिक्षा का बजट क्यों कम कर दिया?
  • सरकार जवाब देती है, “क्योंकि इस साल हमें रक्षा पर ज्यादा खर्च करना है।

अगर बहुमत इसे मंजूर कर देता है, तो बजट लागू हो जाता है।


6. बजट लागू होना और खर्च की निगरानी (Implementation & Monitoring)

जिस तरह घर में महीने के बीच में देखा जाता है कि खर्च बजट के हिसाब से हो रहा है या नहीं, उसी तरह सरकार भी साल के बीच में समीक्षा (Mid-Year Review) करती है।

👉 उदाहरण:

  • अगर किसी योजना में कम पैसे खर्च हो रहे हैं, तो उस बजट को दूसरी जगह भेजा जाता है।
  • अगर ज्यादा खर्च हो गया, तो सरकार अतिरिक्त उधार ले सकती है।

निष्कर्ष

बजट देश की आर्थिक सेहत का आईना होता है। यह तय करता है कि देश किस दिशा में बढ़ेगा – शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग या रक्षा। आम आदमी के लिए यह जानना जरूरी है कि बजट से उसकी रोजमर्रा की ज़िंदगी पर क्या असर पड़ेगा – टैक्स घटेगा या बढ़ेगा, सरकारी योजनाओं में बदलाव होगा या नहीं, महंगाई कम होगी या बढ़ेगी।

अगर बजट सही से बने, तो देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, वरना घाटा बढ़ जाता है और महंगाई बढ़ने लगती है।

अब जब अगली बार बजट आए, तो इसे ध्यान से सुनें और समझें कि यह आपकी ज़िंदगी को कैसे प्रभावित करेगा!

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